Eid Mubarak

लोग गले मिल रहे थे , शायद ईद रहा होगा हर तरफ खुशी की महौल थी ।

लोग एक दूसरे के गले मे गले डालकर अलाह से फ़रयाद कर रहा था।

तभी वो एक काले रंग के लिवास में आई और मेरे हाथों को पकड़ कर गले से लिपट गयी , और हल्की से आवाज में बोली " ईद मुबारक "

मैने भी उसे कहाँ -ईद मुबारक । और उसे गले में जकड़ लिया । सभी लोग मूझे देख रहा था क्योंकि मैं बिना सफेद टोपी में था जिससे लोगो को मैं साफ दिख रहा था कि मैं हिन्दू हूँ या नही । लेकिन इतना जरूर था कि यह मुस्लिम नही हैं ।

लेकिन उसने लोगो की बिना परवाह किये उसने अपने दोस्तों से मिलायी और साथ मे सेवई भी खिलायी ।

ये बात तब की हैं जब मै लगभग 8-9 साल के रहा होगा ।

हम दोनों में दोस्ती इतनी थी कि अगर मैं स्कूल नही जाता तो वह भी स्कूल नही जाती थी।

हम दोनों की दोस्ती कब प्यार में बदला कुछ पता ही नही चला लेकिन कहते हैं ना ! जब घर मे मिठाई बनती हैं तो जानकारी मोहल्ले वाले को हो ही जाती हैं। इसी तरह हम दोनों की जानकारी पड़ोसियों को सबसे पहले मालूम हो गई थी ।

वह प्यार के साथ फ्री में गुस्सा भी देती थी , वह जब भी हम से गुस्सा होती थी तो वह उर्दू में लिखकर msg करती थी ।

जो मुझे पढ़ना नही आता था जिसके वजह से उसकी गुस्सा को समझ नही पाता और मैं english में बस miss you लिख देता था और इस तरह वह बहुत जल्द मान जाती थी ।

जब मैं 10वी पास किया तो पढ़ने के लिए गांव छोड़ कर शहर में शिफ्ट होनी पड़ी ।

शहर आ जाने के बाद से उससे बात करना -मिलना सब बन्द हो गयी , अब उससे फोन से भी बात नही कर पाता था , क्योकि उसके घर मे सिर्फ एक मोबाइल थी जो अक्सर उसके अब्बू लिए रहते थे ।

समय बितता गया और अब मैं ग्रेजुएशन भी पास कर गया और ssc की तैयारी करने लगा ।

और उधर वो भी छोटी से बड़ी होती गयी ।

एक दिन हम गांव गए हुए थे उसी दिन वह शाम को हमे मिली और बोली " मिंटू ! क्या तुम हम से शादी कर सकते हो "

मैंने बिना कुछ सोचे समझे जबाब दिया " पागल हो ! अभी मैं अपनी पैर पर खड़े भी नही हुआ हूँ । भला तुम्हे कैसे रख पाएंगे ? "

जॉब लग जाने दो फिर हम -दोनों शादी कर लेंगे ।

ये सुनने के बाद उसकी आँखों मे आंसू साफ दिख रही थी लेकिन उसने आंखों को छुपाते हुए बोली " ठीक है । मैं इंतजार कर लूँगी "

मैं कई सालों तक ssc ,बैकिंग ,रेलवे की तैयारी करता रहा , लेकिन जॉब हाथ नही लगी । कभी पश्न लीक तो कभी मेरिट घोटाला तो कभी सरकार की वैकेंसी बंद का शिकार होता रहा।

एक दिन वह आकर मुझ से लिपट गयी और रोती हुई कही " अलविदा ! अब हम कभी नही मिल पाएंगे "

मैंने कहाँ " पागल हो ! क्या कह रही हो । "

उसने कहाँ " सच कह रही हूं आज के बाद मैं कभी नही मिल पाऊंगी क्योकि मेरी शादी तय हो गयी हैं और इसी महीने में शादी हैं ।

शादी के बाद सऊदी अरब चली जाऊँगी क्योकि मेरी शौहर वही रहता हैं "

ये सुनकर मेरी भी आंखों में आंसू आ गयी और मैं रोने लगा ।

उसने मुझ से बाँहे छुड़ा कर वह तेजी से रोती हुई अपनी घर के अंदर चली गयी ।

तब से अब तक ना उससे बात हुई ना वो कभी मिली , हमारी प्यार को बेरोजगारी की नजर लग गयी थी ।

आज जब लोगो को ईद मनाते देखा तो उसकी यादे आ गयी और आंखे गीली हो गयी ।

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